
गीतकार: राजेन्द्र कृष्ण, गायक: मो. रफ़ी, संगीतकार: रवि
फिल्म: खानदान - 1965
मुझे जब जब बहारों का ज़माना याद आएगा
कहीं अपना भी था इक आशियाना याद आएगा
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ
कल चमन था ...
मुझको बरबादी का कोई ग़म नहीं -२
ग़म है बरबादी का क्यों चर्चा हुआ
कल चमन था ...
एक छोटा सा था मेरा आशियाँ -२
आज तिनके से अलग तिनका हुआ
कल चमन था ...
सोचता हूँ अपने घर को देखकर -२
हो न हो ये है मेरा देखा हुआ
कल चमन था ...
देखने वालों ने देखा है धुआँ -२
किसने देखा दिल मेरा जलता हुआ
कल चमन था ...
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3 comments:
देखते ही देखते ये क्या हुआ .....
बहुत बढ़िया गीत पढाने के लिए धन्यवाद .
आप जैसे लोगों द्वारा कि गई होसला अफजाई ही मुझे प्रेरित करती है अगर आपको किसी गाने के बोल चाहिए तो आप मुझे लिख भी सकते हैं ई-मेल पता ब्लॉग पर है। - धन्यावाद
Very nice
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