गीतकार: कैफ़ी आजमी, गायक: लता मंगेशकर,
संगीतकार: गुलाम मोहम्मद, फिल्म: पाकिजा - 1971
चलते चलते - 2
यूही कोई मिल गया था, सरे राह चलते चलते
वही थम के रह गयी हैं, मेरी रात ढलते ढलते
यूही कोई मिल …
जो कही गयी ना मुझ से, वो जमाना कह रहा हैं
के फसाना बन गयी है, मेरी बात चलते चलते
यूही कोई मिल …
शब-ए-इंतजार आखिर, कभी होगी मुक्त़ासर भी
ये चिराग बुझ रहे है, मेरे साथ जलते जलते
यूही कोई मिल …
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Thursday, May 1, 2008
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