सनम हसीन जवाँ
होठों में गुलाब है, आँखों में शराब है
लेकिन वो बात कहाँ
लट है किसी की जादू का जाल
रंग डाले किसी पे किसी का जमाल - २
तौबा ये निगाहें, के रोकती है राहें
ले लेके तीर कमान
लाखों हैं निगाह में ...
जानूं ना दीवाना मैं दिल का
कौन है खयालों की मलिका - २
भीगी भीगी रुत की छाओं तले
मन को कहीं वो आन मिले
कैसे पहचानूँ, कि नाम नहीं जानूँ
ढूँढे मेरे अरमान
लाखों हैं निगाह में ...
कभी कभी वो एक मह-जबीं
डोलती है दिल के पास कहीं - २
के हैं जो यही बातें
तो होंगी मुलाकातें
कभी वहाँ नहीं तो यहाँ
हाय, लाखों हैं निगाह में ...
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