हर फ़िक्र को धुँएं में उड़ाता चला गया
बरबादियों का सोग़ मनाना फ़िज़ूल था -3
बरबादियों का जश्न मनाता चला गया
मैं ज़िंदगी...
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया -3
जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया
मैं ज़िंदगी...
ग़म और खुशी में फ़र्क न महसूस हो जहाँ -3
मैं दिल को उस मुक़ाम पे लाता चला गया
मैं ज़िंदगी...
गाने को डाऊनलोड करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें।
No comments:
Post a Comment