Tuesday, April 8, 2008
मेरे मेहबूब कयामत होगी
मेरे मेहबूब कयामत होगी
आज रसवां तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरी नजरे तो गिला करती है
तेरे दिल को भी सनम तुझ से शिकायत होगी
तेरी गली मैं आता सनम
नग्मा वफा का गाता सनम
तुझ से सुना ना जाता सनम
फिर आज इधर आया हू मगर
ये कहने मैं दिवाना
खत्म बस आज ये वहशत होगी
मेरे मेहबूब कयामत होगी
मेरी तरह तू आहे भरे
तू भी किसी से प्यार करे
और रहे वो तूझ से परे
तुने ओ सनम, ढाए हैं सितम
तो ये तू भूलना जाना
के न तुझ पे भी इनायत
मेरे मेहबूब कयामत होगी
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1 comment:
मेरा भी पसंदीदा गीत है
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