संगीतकार :रवी, चित्रपट :दो बदन - 1966
लो आ गयी उनकी याद्, वो नहीं आए
दिल उनको ढूंढता है, गम का सिंगार कर के
आंखे भी रक गयी है, अब इंतजार कर के
एक आस रह गयी है, वो भी ना टूट जाए
रोती हैं आज हम पर, तनहाईयां हमारी
वो भी ना पाए शायद्, परछाईयां हमारी
बढते ही जा रहे है, मायूसीयों के साये
लौ थरथरा रही है, अब शम-ए-जिंद्गी की
उजडी हुयी मोहब्बत, मेहमां हैं दो घडी के
मर कर ही अब मिलेंगे, जी कर तो मिल ना
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