फ़िल्म - दिल अपना और प्रीत पराई - 1960
गायिका - लता मंगेशकर
संगीत - शंकर-जयकिशन
गीत - शैलेन्द्र
अजीब दास्तां है ये
कहाँ शुरू कहाँ खतम
ये मंज़िलें है कौन सी
न वो समझ सके न हम
अजीब दास्तां...
ये रोशनी के साथ क्यों
धुआँ उठा चिराग से -२
ये ख़्वाब देखती हूँ मैं
के जग पड़ी हूँ ख़्वाब से
अजीब दास्तां...
किसीका प्यार लेके तुम
नया जहाँ बसाओगे -२
ये शाम जब भी आएगी
तुम हमको याद आओगे
अजीब दास्तां...
मुबारकें तुम्हें के तुम
किसीके नूर हो गए -२
किसीके इतने पास हो
के सबसे दूर हो गए
अजीब दास्तां...
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Tuesday, August 18, 2009
Wednesday, June 10, 2009
मेरे साजन हैं उस पार
गीतकार :शैलेन्द्र
गायक :एस डी बर्मन
संगीतकार: एस डी बर्मन
चित्रपट :बंदिनी - 1963
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार
ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार
मेरे साजन हैं उस पार...
हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना
मुझको तेरी बिदा का...
मुझको तेरी बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार
मेरे साजन...
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मत खेल...
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मैं बंदिनी पिया की चिर संगिनी हूँ साजन की
मेरा खींचती है आँचल...
मेरा खींचती है आँचल मन मीत तेरी हर पुकार
मेरे साजन हैं उस पार
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार...
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गायक :एस डी बर्मन
संगीतकार: एस डी बर्मन
चित्रपट :बंदिनी - 1963
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार
ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार
मेरे साजन हैं उस पार...
हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना
मुझको तेरी बिदा का...
मुझको तेरी बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार
मेरे साजन...
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मत खेल...
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मैं बंदिनी पिया की चिर संगिनी हूँ साजन की
मेरा खींचती है आँचल...
मेरा खींचती है आँचल मन मीत तेरी हर पुकार
मेरे साजन हैं उस पार
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार...
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बंदिनी
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
गीतकार :इंदीवर
गायक :मुकेश
संगीतकार: रोशन
चित्रपट :अनोखी रात - 1968
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन से जल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में ...
अन्जाने होंठों पर ये (पहचाने गीत हैं - २)
कल तक जो बेगाने थे जनमों के मीत हैं
ओ मितवा रे ए ए ए कल तक ...
क्या होगा कौन से पल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में ...
सूरज को धरती तरसे (धरती को चंद्रमा - २)
पानी में सीप जैसे प्यासी हर आतमा
ओ मितवा रे ए ए ए ए पानी में ...
बूंद छुपी किस बादल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में ...
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